भारत का इतिहास हमेशा से काफी रोचक रहा है। भारत में ऐसे कई सारे युद्ध हुए है, जिनसे जुड़ी जानकारी हमें इतिहास के पन्नों में मिलती है। अगर हमलोग भारत के इतिहास में लड़े गए महत्वपूर्ण युद्धों की बात करे तो इन्हीं युद्धों में से एक युद्ध सिकंदर और पोरस के बीच का युद्ध है।
इन दोनों के बीच हुए इस युद्ध को आज भी याद किया जाता है। लेकिन आज भी कई लोगों को सिकंदर और पोरस के बीच हुए युद्ध के बारे में और भारत के राजा पोरस के बारे में अधिक जानकारी नहीं है।

वहीं इन दोनों के बीच हुए युद्ध को लेकर और भारत के राजा पोरस के जीवन पर कई कई सारी फिल्में और टीवी धारावाहिक भी बनाएं गए हैं। तो चलिए आज के इस लेख में हम आपको सिकंदर और पोरस के बीच हुए युद्ध और राजा पोरस के जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं।
नाम:- पोरस
अन्य नाम:- पुरूवास
जन्म स्थान:- सिंध प्रांत पंजाब
निधन:- 315 ईसा पूर्व
अभिभावक:- राजा बमनी/अनुसुइया
पति/पत्नी:- लची
★ कौन था पोरस
पोरस के बारे में कहा जाता है कि पोरस का संबंध पोरवा वंश से था और पोरस इस वंश के वशंज थे। सम्राट राजा पोरस या राजा पुरुवास का जन्म सिंध प्रान्त पंजाब में शुरशेन वंश यानी यदुवंशी में हुआ था। राजा पोरस के पिता का नाम राजा बमनी तथा माता का नाम अनुसुइया था। पोरस की पत्नी का नाम लची था। भारत के इस महान राजा पोरस ने 340 ईसा पूर्व से लेकर 315 ईसा पूर्व तक पंजाब में झेलम और चेनाब नदियों तक अपनी हुकूमत चलाई थी।
हालांकि भारत और पाकिस्तान का विभाजन के बाद ये हिस्सा पाकिस्तान देश में आता है। राजा पोरस के बारे में ग्रीस के इतिहास में भी जिक्र देखने को मिलता है।
राजा पोरस के बारे में बताया जाता है की उनका शारीरिक रचना भी अद्भुत थी, पोरस की उचाई 7.5 फिट थी। पोरस एक कुशल राजा होने के साथ ही वे अपने राज्य की प्राकर्तिक और भौगोलिक जानकार भी थे।
★ कौन था सिकंदर
सिकंदर (Alexander The Great) के बारे में कौन नही जानता है। सिकंदर जो ग्रीस देश का एक शासक था, इनको सिकंदर द ग्रेट नाम से भी जाना जाता है। सिकंदर इसका अर्थ होता है “योद्धा” या “रक्षक”। वहीं जब सिकंदर से जुड़े इतिहास को पढ़ते है तो यही लगता है कि वो एक महान योद्धा थे। सिकंदर ने बेहद ही कम उम्र में अपने पिता का सिंहासन संभाल लिया था। सिकंदर का जन्म पेला शहर (ग्रीस) में 356 ईसा पूर्व में हुआ था। इतना ही नहीं सिकंदर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने पूरी दुनिया पर शासन करने के मकसद से कई सारे युद्ध लड़े थे।
सिकंदर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने विश्व विजेता बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए बेहद ही कम आयु में युद्ध लड़ना शुरू कर दिया था। वहीं सिकंदर ने अपने इस सपने को पूरा करने के लिए बहुत सारे लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। सिकंदर के बारे में ये भी कहा जाता है कि सिकंदर ने अपने सम्पूर्ण जीवन में जितने भी युद्ध लड़े थे उन सारे युद्धों में उनको केवल विजय ही प्राप्त हुई थी।
★ सिकंदर और राजा पोरस के बीच का युद्ध
राजा पोरस और सिकंदर द ग्रेट के बीच हुए युद्ध को लेकर कई सारी कहानियां हैं। इन दोनों के बीच हुए युद्ध के बारे में ग्रीस के इतिहास में कहा गया है कि इस युद्ध में सिकंदर विजय हुआ था। वहीं ठीक इसके विपरीत भारत के इतिहासकारों की राय है तथा उनका मानना था कि इस युद्ध में राजा पोरस के सामने सिकंदर द ग्रेट ने हार मान ली थी और उनके साथ समझौता कर लिया था।
ग्रीस (Greece) के इतिहास के अनुसार सिकंदर ने फारस में युद्ध जीतने के बाद भारत देश की तरफ रूख किया था। कहा जाता है कि सिकंदर ने चेनाब नदी के जरिए भारत में प्रवेश करने की कोशिश की थी। बताया जाता है कि उस समय चेनाब नदी के आस-पास राजा पोरस का ही शासन हुआ करता था।
ये भी बताया जाता है कि उस समय सिकंदर के सामने भारत के कई राजाओं ने अपने घुटने टेक दिए थे, लेकिन राजा पोरस ने ऐसा नहीं किया। जिसके बाद इन दोनों महान योद्धाओं के बीच 326 ईसा पूर्व में एक युद्ध हुआ था।
वहीं इस युद्ध को “BATTLE OF HYDASPES” के नाम से जाना जाता है। ‘हाइडस्पेश’ शब्द का अर्थ झेलम होता है। ग्रीस में झेलम को ‘हाइडस्पेश’ के नाम से पुकारा जाता है। सिकंदर और पोरस के बीच युद्ध झेलम नदी के किनारे पर ही लड़ा गया था।
ग्रीस के इतिहास में BATTLE OF HYDASPES युद्ध का जिक्र करते हुए ये बताया गया है कि यह युद्ध झेलम नदी के किनारे लड़ा गया था।
पोरस ने इस युद्ध में काफी बहादुरी से लड़ा था, लेकिन बताया जाता है कि इस युद्ध में पोरस की सिकंदर के सामने हार हुई थी। इस युद्ध में पोरस की सेना में हाथियों को देखकर सिकंदर द ग्रेट हैरान रह गए थे। इस युद्ध में सिकंदर की विशाल सेना को काफी नुकसान भी हुआ था।
★ सिकंदर और राजा पोरस के बीच की दोस्ती
BATTLE OF HYDASPES युद्ध में राजा पोरस की सेना में 20,000 पैदल सैनिक, 4000 रथ, 4000 घुड़सवार और 130 हाथियों का बल था। राजा पोरस की बहादुरी और वीरता के बारे सिकंदर भलीभांति वाकिफ था। राजा पोरस के केवल 20 हजार सैनिकों ने सिकंदर के करीब 50 हजार सैनिकों का डट कर सामना किया था। इस युद्ध में राजा पोरस की बहादुरी को देखकर सिकंदर दंग रह गए थे।
इस युद्ध में पहले ही दिन सिकंदर को पोरस के पराक्रम का एहसास हो गया। पोरस की सेना के पास बलशाली गजसेना के साथ अद्भुत हथियार भी शामिल थे। जिससे एक ही सैनिक कई शत्रु सैनिकों को और कई घुड़सवार सैनिको को एक साथ मार सकते थे। इस युद्ध में पोरस की सेना के कई सैनिक हताहत हुए और वीरगति को भी प्राप्त हुए।
वहीं इस युद्ध में राजा पोरस के भाई अमर ने अपने युद्ध कौशल से सिकंदर के घोड़े भवक्पाली का वध कर दिया था।
ये युद्ब सिकंदर का आखिरी युद्ब था, बताया जाता है कि इस युद्ध के बाद जब पोरस को सिकंदर के सामने लाया गया था तो पोरस के बहादुरी को देखकर सिकंदर ने उनके सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। इसके बाद इन दोनों राजाओं के बीच दोस्ती हो गई थी। ऐसा भी बताया जाता है कि सिकंदर ने पोरस को उनका राज्य सहित उनके द्वारा भारत के जीते अन्य राज्य को भी सौंप दिया था। जिन पर पोरस ने राज किया था।
★ भारत के इतिहासकारों की राय
वहीं सिकंदर और पोरस के बीच हुए इस युद्ध को लेकर भारत के कई इतिहासकारों का कहना है कि इस युद्ध में पोरस की विजय हुई थी। इस युद्ध से पूर्व सिकंदर की सेना इतने सारे युद्ध लड़कर थक गई थी। ये भी बताया जाता है कि जब सिकंदर भारत आए, तो वो राजा पोरस की शक्तिशाली सेना को देखकर दंग रह गया और निराश होकर ही वापस लौट गया थे।
★ सिकंदर की मृत्यु
बताया जाता है कि इस युद्ध के खत्म होने के बाद सिकंदर वापस अपने देश चले गए और 32 साल की आयु में बीमारी की चपेट में आने से सिकंदर की मौत हो गई थी। जिस समय सिकंदर की मौत हुई थी वो इराक देश में थे। इतिहास के मुताबिक इनकी मौत 10 या 11 जून 323 B.C के दौरान बेबीलोन में हुई थी।
★ पोरस की मृत्यु
पोरस की मृत्यु कैसे हुई थी इसको लेकर कई कहानियां मौजूद हैं। पोरस की मृत्यु के बारे में बताया जाता है कि सिकंदर की मृत्यु के पश्चात उनके जनरल युदोमोस ने राजा पोरस को एक षड्यंत्र के चलते मार डाला था। परन्तु इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है। राजा पोरस की मृत्यु को लेकर एक मत यह भी बताया जाता है कि आचार्य चाणक्य ने ही पोरस की हत्या करवाई थी क्योंकि राजा पोरस चन्द्रगुप्त के साम्राज्य विस्तार में बाधक बन सकते थे।
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